क्या आप जानते हैं?
2013 में जब प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित हुआ था, तो इतने श्रद्धालु एकत्रित हुए कि इस आयोजन की अद्भुत छवि अंतरिक्ष से भी देखी गई थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ का संबंध समुद्र मंथन से है, जो अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों के बीच हुए संघर्ष की कहानी है।
समुद्र मंथन और अमृत कलश की कथा
युगों पहले, अमृत की तलाश में समुद्र को मथा गया। इस मंथन से अमृत कलश प्रकट हुआ, जिसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ।
छीना-झपटी के दौरान कलश से अमृत छलक कर चार स्थानों पर गिरा – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, और नासिक। यही कारण है कि कुंभ का मेला इन चार पवित्र स्थलों पर आयोजित होता है।
अमृत की बूंदों का महत्व
अमृत की बूंदें सबसे पहले हरिद्वार में गिरीं, जिससे यह तीर्थ स्थल बन गया। दूसरी बार अमृत प्रयागराज के गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम में गिरा, जिसे तीर्थराज का दर्जा मिला।
अगले दो प्रयासों में अमृत उज्जैन की क्षिप्रा नदी और नासिक की गोदावरी नदी में गिरा। इन चार स्थलों पर ही कुंभ मेले का आयोजन होने लगा।
कुंभ मेला 12 वर्षों में ही क्यों होता है?
कुंभ मेले का समय ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।
- प्रयागराज: जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में, और बृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं।
- हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं।
- उज्जैन: जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।
- नासिक: जब सूर्य सिंह राशि और बृहस्पति सिंह या कर्क राशि में होते हैं।
पौराणिक मान्यता है कि इंद्र के पुत्र जयंत ने अमृत कलश लेकर भागते हुए 12 दिन बाद स्वर्ग पहुंचा। देवताओं का एक दिन मनुष्यों के एक वर्ष के बराबर होता है। इसलिए, कुंभ का आयोजन 12 वर्षों में होता है।
महाकुंभ: कुंभ का पूर्ण स्वरूप
प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ 12 पूर्ण कुंभों के बाद आता है। यह आयोजन हर 144 वर्षों में होता है। इस बार 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह न केवल पूर्ण कुंभ है, बल्कि महाकुंभ है।
भारतीय संस्कृति का उत्सव
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय दर्शन, परंपरा, और खगोलीय विज्ञान का संगम भी है। गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान करने से सभी पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शुभकामनाएं
महाकुंभ हमारी भारतीय संस्कृति की समृद्धि और गौरव को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है। इस पवित्र उत्सव में भाग लेने का अवसर अवश्य लें।
महाकुंभ पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
प्रभु की असीम कृपा सभी पर बनी रहे।
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