क्या आप जानते है की शिव जी को भोलेनाथ क्यों कहा जाता है?

भगवान शिव को जहां एक तरफ भोलेनाथ कहा जाता है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें सृष्टि का विनाशक भी कहा जाता है।

वे शमशान में रहते हैं, उनके शरीर में भस्म लिपटी रहती है, और उनके साथ भूत-प्रेत भी रहते हैं। ऐसे देव को भोलेनाथ क्यों कहा जाता है? इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

शिव जी के नाम और उनकी विशेषता

भगवान शिव जी के कई नाम हैं, लेकिन उन्हें भक्त भोलेनाथ कहकर ही पुकारना पसंद करते हैं। भोलेनाथ ऐसे देव हैं जिन्हें प्रसन्न करना बहुत ही आसान है।

भोलेनाथ का दार्शनिक अर्थ

इस शब्द का दार्शनिक अर्थ है:

  • भोले: बच्चों जैसी मासूमियत।
  • नाथ: भगवान या मालिक।

इसलिए भोलेनाथ का अर्थ है मासूम भगवान।

भोलेनाथ का निर्दोष स्वभाव

भगवान शिव अपनी शक्ति पर कभी घमंड नहीं करते। उनके अंदर न अहम है और न ही चालाकी। यही कारण है कि उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है।

भस्मासुर की कहानी

उन्हें भोलेनाथ कहने का एक और कारण भस्मासुर की कहानी से जुड़ा है। एक असुर हजारों वर्षों से भगवान शिव की तपस्या कर रहा था।

भगवान शिव जानते थे कि वह असुर है और उसे वरदान देना उचित नहीं होगा। फिर भी, भोलेनाथ उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए।

असुर ने वरदान मांगा कि जिसे वह छुए, वह भस्म हो जाए। भगवान शिव ने बिना सोचे-समझे उसे यह वरदान दे दिया।

भस्मासुर की विनाशलीला

भस्मासुर ने वरदान की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव को ही भस्म करने की कोशिश की।

  • उसने पूरी सृष्टि में तबाही मचाई।
  • अंत में, भगवान विष्णु ने नारायण रूप में भस्मासुर का नाश किया।

भोलेनाथ से कैसे मांगें वरदान?

भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को वह सब देते हैं जो वे सच्चे मन से मांगते हैं। अगर आप भी बाबा भोलेनाथ से कुछ मांगना चाहते हैं, तो पूर्ण श्रद्धा के साथ उनकी भक्ति करें।

निष्कर्ष

भोलेनाथ अपने भक्तों के लिए सदैव सुलभ हैं। उन्हें प्रसन्न करना जितना आसान है, उनकी भक्ति का फल भी उतना ही तुरंत मिलता है। इसीलिए भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है।

हर हर महादेव!

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